122+ Best Ajnabi Shayari in Hindi | अजनबी पर शायरी हिंदी में
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Best Ajnabi Shayari in Hindi
तुम आसमान बन जाना हम आएँगे ज़मीन बन कर
मिलने की ख्वाहिश है फिर से अजनबी बन कर
वो तारों की तरह रात भर चमकते रहे
हम चाँद से तन्हा सफ़र करते रहे
वो तो बीते वक़्त थे उन्हें आना न था
हम यूँ ही सारी रात करवट बदलते रहे
गम के अंधेरे मे खुशी की चिराग ढूंढ़ रही हूँ अकेली हूँ
वाबजूद इसके किसी दुजे साये की तलाश कर रही हूँ
यू हम पर तरस ना दिखाया करो अजनबी
तेरी मेहरबानीयां हमें महंगी पड सकती हैं
मुझे इस बात का गम नहीं कि बदल गया ज़माना
Best Ajnabi Shayari in Hindi
मेरी जिंदगी तो सिर्फ तुम हो कहीं तुम ना बदल जाना
चेहरे अजनबी हो भी जाएं तो कोई बात नहीं
लेकिन रवैया अजनबी हो जाए तो बड़ी तकलीफ देते है
अजनबी कोई समझ लेता है कोई अन्जान समझ लेता है
दिल है दीवाना हर तबस्सुम को जान पहचान समझ लेता है
कोई अनजान जब अपना बन जाता है
ना जाने क्युँ वो बहुत याद आता है
लाख भुलाना चाहो उस चेहरे को
मगर अकस उसका हर चीज़ में नज़र आता है
उसकी हर एक शिकायत देती है मुहब्बत की गवाही
वर्ना अजनबी से कौन हर बात पर तकरार करता है
अजनबी पर शायरी हिंदी में
एक अजनबी यूँ मिला मुझे मेरी पहचान बन गया
रिश्ता कहाँ कोई था उससे, मुझसे मिला मेरी जान बन गया
घुलता रहा वो इस क़दर मुझमें फ़ीकी ज़िन्दगी की मुस्कान बन गया
कुछ अधूरा सा बाक़ी था मुझमें सूनी ज़िन्दगी में लोबान बन गया
उम्र भर चाहा के ज़मीन ओ आसमान हमारा होता
Ajnabi Shayari 2 Lines in Hindi
काश कहीं तो ख्वाहिशों का भी कोई किनारा होता
यह सोच के उस मुसाफिर को रोका ही नहीं
दूर जाता ही क्यों अगर वो हमारा होता
हाल पूछने कल फोन किया तो रिंग बजते ही काट दिया
अनजान बनकर आज संदेश भेजा तो फिर घंटो बात किया
अजीब किस्सा है जिन्दगी का अजनबी हाल पूछ रहे हैं
और अपनो को खबर तक नहीं
हम तो यूँ अपनी ज़िन्दगी से मिले अजनबी जैसे अजनबी से मिले
जिस तरह आप हम से मिलते हैं आदमी यूँ न आदमी से मिले
मेरे अजीज ही मुझको समझ न पाए कभी
मैं अपना हाल किसी अजनबी से क्या कहता
न जाने इतनी मोहब्बत कहाँ से आ गयी उस अजनबी के लिए
कि मेरा दिल भी उसकी खातिर अक्सर मुझसे रूठ जाया करता है
अजनबी है वो जिन्हे हम अपना मानते
राज जो दिल में छुपा है उनके ये तो बस खुदा जानते है
तेरी यादो का तो बसेरा है मुझमें कभी
Ajnabi se Pyar Shayari in Hindi
तुम भी आजाना वक़्त रोक कर
मिलने अनजान से जान तक का सफ़र
तो नाप आये हम पर रहना होगा
यहाँ अजनबी बन कर फिरसे
न जाने इतनी मोहब्बत कहाँ से आ गयी उस अजनबी के लिए
की मेरा दिल भी उसकी खातिर अक्सर मुझसे रूठ जाया करता हे
Ajnabi Shayari 2 Lines in Hindi
तुम्हारा नाम किसी अजनबी के लब पर था
ज़रा सी बात थी दिल को मगर लगी है बहुत
हम कुछ ना कह सके उससे इतने जज्बातों के बाद भी
अजनबी के अजनबी रह गये इतने मुलाकातों के बाद भी
हम तो ख्वाबो की दुनिया में बस खोते गये
Ajnabi Log Shayari in Hindi
होश तो था फिर भी मदहोश होते गये
उस अजनबी चेहरे में क्या जादू था
न जाने क्यों हम उसके होते गये
हर दोस्ती पर अब मुझे शक है
पर क्या करें साला ये ही तो सबके लिए सबक है
अजनबी सी है ये जिंदगी और
वक्त की तेज़ है रफ्तार
रात इकाई, नींद दहाई ख्वाब सैकड़ा
दर्द हजार फिर भी जिंदगी मजेदार
तेरा नाम था आज किसी अजनबी की ज़ुबान पे
बात तो ज़रा सी थी पर दिल ने बुरा मान लिया
मंजिल का नाराज होना भी जायज था
हम भी तो अजनबी राहों से दिल लगा बैठे थे
दिल की खामोशी से सांसो के ठहर जाने तक
Ajnabi Shayari in Hindi for Love
मुझे याद रहेगा वो अजनबी मेरे मर जाने तक
तेरा चेहरा से पता चल रहा है की तुझे किस चीज की उदासी है
लगता है तेरी भी अजनबी राहें अब बस मोहोब्बत की प्यासी है
अजनबी कोई समझ लेता है कोई अन्जान समझ लेता है
दिल है दीवाना हर तबस्सुम को जान पहचान समझ लेता है
Ajnabi se Pyar Shayari in Hindi
वजह पूछने की मोहलत ही न दी उन्होंने
लहजा बदलता गया और हम अजनबी हो गए
उस मोड़ से शुरू करनी है फिर से जिंदगी
जहां सारा शहर अपना था और तुम अजनबी
दुखी हूं आज भी दिल से दिल दुखाया उस अजनबी का जबसे
अजनबी शायरी 2 लाइन
ख्वाहिश तो आज भी है बात करने की मुद्दा तो यही है
अब की कहे कैसे उनसे
अजनबी जान के क्या नाम ओ निशाँ पूछते हो
भाई हम भी उसी बस्ती के निकाले हुए हैं
ख़ुद को कितना भुला दिया मैं ने
तू भी अब अजनबी सा लगता है
किया है प्यार जिससे हमने जिंदगी की तरह
वो बात भी करते है तो अजनबी की तरह
अगर तुम अजनबी हो तो लगते क्यों नहीं
अगर मेरे हो तो मुझे मिलते क्यों नहीं
जरा सी दोस्ती कर ले जरा सा हम नशी बन जा
Ajnabi Shayari in Hindi
थोडा तो साथ दे मेरा फिर चाहे अजनबी बन जा
सदियों बाद उस अजनबी से मुलाक़ात हुई
आँखों ही आँखों में चाहत की हर बात हुई
जाते हुए उसने देखा मुझे चाहत भरी निगाहों से
मेरी भी आँखों से आंसुओं की बरसात हुई
अजनबी बन के हैं लोग आए हुए बज़्म में दोस्त भी सब पराए हुए
बात से बात बढ़ती गई याद की हम इसी याद के हैं सताए हुए
Ajnabi Log Shayari in Hindi
दिल ना लगाना कभी अजनबी से, सुन मेरे दोस्त
ऐसी खलिश मिल जाएगी जो उम्र भर की याद बनेगी
कोई अजनबी दिल के लिए ख़ास हो रहा है
अब मुझे मोहब्बत-ए एहसास हो रहा है
इस दुनिया मेँ अजनबी रहना ही ठीक है
लोग बहुत तकलीफ देते है अक्सर अपना बना कर
बदला न अपने आप को जो थे वही रहे
Ajnabi Shayari 2 Lines in Hindi
मिलते रहे सभी से मगर अजनबी रहे
वक्त मुशाफिर है चलता ही रहता है
तेरी तरहा किन्ही अजनबी राहों में गुम नहीं हो जाता
ओ अजनबी है मेरे लिए पर मेरी हर एक बात मानती है
कोई अपना क्या ख्याल रखेगा मेरा जितना वो रख पाती हैं
तमन्ना मेरी अब उम्मीद लगाये बैठी है
किसी अजनबी से चेहरे को वो अपना बनाये बैठी है
हम ना अजनबी हैं ना पराये हैं
आप और हम एक रिश्ते के साये है
जब जी चाहे महसूस कर लीजियेगा
हम तो आपकी मुस्कुराहटों में समाये है
पलकों को भिगोने लगी है अब तेरी यादें
काश हम अजनबी होते तो ज्यादा अच्छा होता
चला दिल पे खंजर और वो दिल के पार हो गया
एक अजनबी मुलाकात हुई थी उनसे हमारी
मगर ना जाने क्यों उनसे प्यार हो गया
Ajnabi Shayari in Hindi for Love
हर कदम साथ चलने वाले हम कहीं खो गए
इतने करीब थे हम और अब अजनबी हो गए
जिन्दगी में दो शब्द कहने में काफी मुश्किल होती है
पहली बार किसी अजनबी से हैलो और
आखरी बार किसी अपने से अलविदा
यु न हमे अजनबी करार करो
Ajnabi se Pyar Shayari in Hindi
हम तुम्हारे ही है हमसे प्यार करो
अगर पसंद नहीं है साथ हमारा तो
यूँ किश्तों में बातें करने से भी इंकार करो
बस तमाम उम्र किसी अजनबी के साथ बितानी है
हर शादी करने वाले की बस इतनी सी कहानी है
सदियों बाद उस अजनबी से मुलाक़ात हुई
आँखों ही आँखों में चाहत की हर बात हुई
अजनबी ख़्वाहिशें सीने में दबा भी न सकूँ ऐसे ज़िद्दी हैं
परिंदे कि उड़ा भी न सकूँ
फूँक डालूँगा किसी रोज़ मैं दिल की दुनिया
ये तेरा ख़त तो नहीं है कि जला भी न सकूँ
अज़नबी किस्से का इक क़िरदार बनकर आ गए
Ajnabi Log Shayari in Hindi
बाज़ार में बाज़ार बनकर
जंगलों का सूखना तो लाज़मी है थे
जो बिक रहे अख़बार बनकर
इस अजनबी शहर में पत्थर कहां से आया है
लोगों की भीड़ में कोई अपना ज़रूर है
साथ बिताए वो पल फिर से भूल जाते है
चल फिर से अजनबी होने का खेल दिखाते है
अजनबी थे अजनबी रहे इन अजनबियों के शहर में
अजनबी थे, अजनबी रहे इन अजनबियों के शहर में
मुर्शिद पर ये इश्क़ मोहब्बत वाली बातें बर्बाद कर गयी
एक अजनबी से मुझे इतना प्यार क्यों है
इंकार करने पर चाहत का इकरार क्यों है
उसे पाना नहीं मेरी तकदीर में शायद
फिर हर मोड़ पे उसी का इंतज़ार क्यों है
इस ख़ूबसूरत दुनियां में मिलते हजारों लोग
लेकीन हजारों के भीड़ में कोई एक अपना होता है
मंजिल का नाराज होना भी जायज था
हम भी तो अजनबी राहों से दिल लगा बैठे थे
अजनबी राहों से पता चला मंजिलों का नाराज होना
वरना कहाँ जानते थे वो किसी की नाराजगी
अजनबी शहर में एक दोस्त मिला
वक्त नाम था पर जब भी मिला मजबूर मिला
अजनबी रिश्तें पर शायरी
अनजाने सफर में अजनबी लोग मिल जाते है
इश्क भी होता है दिल के करीब आ जाते है
प्यार का ज़ज़्बा भी क्या क्या ख्वाब दिखा देता है
अजनबी चेहरों को महबूब बना देता है
यु न अपने दिल की बातें हर किसी को बताओ
ये अनजान शहर है थोड़ा तो शर्माओ
दिल ना लगाना कभी अजनबी से सुन मेरे दोस्त
ऐसी खलिश मिल जाएगी जो उम्र भर की याद बनेगी
अजनबी से मुझे इश्क हो गया थोडा नही बेइंतहा हो गया
अब जीना मरना है उसके संग उसके आने से दिल खुशियों से भर गया
तेरे दिल में उठा रहा वो प्यार का छोटा सा सैलाब हूँ में
तेरी इन अजनबी सी आँखों एक अजनबी सा ख्वाब हूँ में
चेहरे अजनबी हो भी जायें तो कोई बात नहीं लेकिन
रवैये अजनबी हो जाये तो बड़ी तकलीफ देते हैं
अगर दोस्त ना मिलते तो कभी यकीन नहीं होता कि
अजनबी लोग भी अपनों से ज्यादा प्यारे हो सकते है
उसकी हर एक शिकायत देती है मुहब्बत की गवाही
अजनबी से वर्ना कौन हर बात पर तकरार करता है
अजनबी से बात करने से दिल हमारा डरता है
ऐसा घाव हमें अपनों ने जो दिया है
वो जान बन गए वो पहचान बन गए
थोड़ा सा जानने की कोशिश क्या की
हमने वो तो अनजान ही बन गए
रूठी है खुशियां मुझ पर मंजिले अभी नाराज है
ये अजनबी लोगो से दिल लगाने की गलती है
इतने अजनबी तो मिलने से पहले नहीं लगते थे तुम
जितने अभी कुछ दिनों से नजरों के सामने रहते हुए लग रहे हो
मैं खुद भी अपने लिए अजनबी हूं
मुझे गैर कहने वाले तेरी बात मे दम है
जीने का तो पता नहीं मगर ये जान जरूर ले रही है
अजनबी ये दुनिया बड़े ज़ख्म दे रही है
Ajnabi Shayari Attitude in Hindi
किसी अपने को अजनबी बनते देखा है मेने
तभी इस गम भरी जिन्दगी को नशे में डुबाये फिरता हूँ
हर किसीको थोड़ा प्यार चाहिए हर किसी को था प्यार चाहिए
पर मुझे तो वो भी बेशुमार चाहिए अगर चाहत है
तो हमसे गुफ्तगू कीजिये
यूँ न हमे पल भर में अजनबी करार कीजिये
जब हुई मेरी बात पता चला वे थे मेरे साथ
पास होकर दूर रहना फिर दूर रहकर पास आ जाना
ऐसा है उनका मेरा साथ एक अजनबी से जब हुई मेरी बात
बदल लेंगे हम खुद को इतना की तुम भी न पहचान पाओगे हमें
अगर कभी सोचोगे हमारे बारे मे हमें पूरी तरह अजनबी पाओगे
उसकी हर एक शिकायत देती है मुहब्बत की गवाही
अजनबी से वर्ना कौन हर बात पर तकरार करता है
किसी अजनबी से मुझे प्यार हो गया
आंखों ही आंखों में इजहार हो गया
बन गई है दिल की धड़कन वो
उसके बिन जीना दुश्वार हो गया
जब से क़रीब हो के चले ज़िन्दगी से
हम ख़ुद अपने आईने को लगे अजनबी से हम
वो कौन है जो पास भी है और
दूर भी हर लम्हा माँगते हैं किसी को किसी से हम
मैंने कहा वो अजनबी है दिल ने कहा ये दिल की लगी है
मैंने कहा वो सपना है दिल ने कहा ये अपना है
मैंने कहा वो मेरी भूल है दिल ने कहा फिर भी कबूल है
मैंने कहा वो मेरी हार है दिल ने कहा यही तो प्यार है
मिले थे अजनबी बन कर अब जिंदगी के सफर में साथ हो
थामा था जो हाथ तेरा अब हमसफर तुम मेरे हो
कब तक यूं अजनबी बने रहोगे कभी तो याद तुझे मेरी आएगी
कुछ ना सही लेकिन नादान भरी बातें तुम्हें सताएगी
गुस्सा हो तो जाता क्यों नहीं देते लौटकर नहीं आना है
तो बता क्यों नहीं देते
यूँ मोहोब्बत की गवाही देकर हमे अजनबी ना बनाओ
प्यार है गर तुम्हे हमसे तो मेरे दिल से ये दूरियां मिटा कर
मेरे दिल के और करीब आ जाओ
बर्ताव तुम्हारा अजनबियों जैसे हो रहा है आजकल
लगता है अब किसी और अजनबी को शायद अपना बना लिया है
कोई था कल तक मेरे लिए अजनबी वो मेरे दिल की धड़कन बन गए
बिन तेरे अब वक्त नहीं कटता वो आज मेरी जरूरत बन गए
कल तक तो सिर्फ़ एक अजनबी थे तुम
आज दिल की हर एक धड़कन पर हुकूमत है तुम्हारी
अंजान जगह पे अजनबी लोग मिल जाते है
होती है बाते चार दिल के करीब आ जाते है
अजनबी शायरी 2 लाइन
सीने में दबा दर्द में सब को दिखाऊंगा
अजनबी समझती है अब वो हमे
ये गम भरा किस्सा में अब सब को बताऊंगा
इस दुनिया मेँ अजनबी रहना ही ठीक है
लोग बहुत तकलीफ देते है अक्सर अपना बना कर
वो अजनबी बन के गुज़र गयी पास से
जो वाक़िफ़ थी मेरे हर एक बात से
किस्मत में अजनबी से मिलना लिखा था
मिलकर इश्क का इज़हार लिखा था
इज़हार हुआ हुई मोहब्बत मोहब्बत में
एक दूसरे का होना लिखा था
तेरा नाम था आज किसी अजनबी की ज़ुबान पे
बात तो ज़रा सी थी पर दिल ने बुरा मान लिया
हजारों लोगो के भीड़ में किसी ने पत्थर तबियत से उछाला
थोडा नजदीक जाकर देखा तो कोई अपना ही था यारों
एक अजनबी से मुझे इतना प्यार क्यों है
इंकार करने पर चाहत का इकरार क्यों है
उसे पाना नहीं मेरी तकदीर में शायद
फिर हर मोड़ पे उसी का इंतज़ार क्यों है
एक ख़्वाब में अजनबी से रिश्ता जोड़ बैठे
दिल दिया उसको अपना सब कुछ मान बैठे
अजनबी दुनियां में कोई दोस्त मिल जाता है
उनसे दिल का रिश्ता बंध जाता है
वजह तक पूछने का मौका ही
ना मिला बस लम्हे गुजरते गए
और हम अजनबी होते गए
तुम मेरा इश्क पाने के लिए तरस जाओगे
अजनबी शहर में दिल लगाओ धोखा खाओगे
मिली आंखे अजनबी से एक रिश्ता सा बन गया
हुआ जिक्र आंखों ही आंखों में जीने की वजह बन गया
अजनबी की सुनी बातो पर यकीन ना करना
अच्छे दोस्तों पर कभी शक ना करना
इस अजनबी शहर में पत्थर कहां
से आया है लोगों की भीड़ में कोई अपना ज़रूर है
अजनबी कोई समझ लेता है कोई अन्जान समझ लेता है
दिल है दीवानाहर तबस्सुम को जान पहचान समझ लेता है
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अजनबी दुनिया पर शायरी
रिश्ता था जो हम दोनो का पल भर में तोड़ गए
किसी अजनबी के खातिर प्यार के रिश्ते को छोड़ गए
अजनबी शहर में एक दोस्त मिला
वक्त नाम था पर जब भी मिला मजबूर मिला
अजनबी से कभी दोस्ती ना करना
आंख बंद कर कभी बारोसा ना करना
रिश्ते बन जाए अजनबी से वो दिल के पास आ जाते है
वक्त बीत जाए थोडा वो सबसे खास हो जाते है
अनजाने सफ़र में थोडा वक्त मिल गया
अजनबी से दोस्ती का थोडा वक्त मिल गया
बड़े सालो से इंतज़ार है वो आये और कह दे
कि मुझे तुमसे प्यार है
युं नज़र से बात की और दिल चुरा ले गये
हम तो अजनबी समझते थे आपको
आप तो हम को अपना बना गये
किसी अजनबी के लिए दोस्तो को ना छोड़ना
अच्छे दोस्त किस्मत वालो को मिलते है
अजनबी शहर में साथ कोई ना था
अनजाने सफर में तनहाई का साथ था
मंजिल का नाराज होना भी जायज था
हम भी तो अजनबी राहों से दिल लगा बैठे
चलो फिर से हम दोनों एक दूसरे के लिए अजनबी बन जाते है
पुराने रिश्ते को भूल फिर से नई शुरवात करते है
बन कर अजनबी मिले थे ज़िंदगी के सफ़र में
इन यादों के लम्हों को मिटायेंगे नहीं
अगर याद रखना फितरत है आपकी तो वादा है
हम भी आपको भुलायेंगे नहीं
अगर तुम अजनबी थे तो अजनबी लगे क्यू नहीं
अौर अगर मेरे थे तो मुझे मिले क्यूं नहीं
इस दुनिया मेँ अजनबी रहना ही
ठीक है, लोग बहुत तकलीफ देते है
अक्सर अपना बना कर
हम कुछ ना कह सके उनसे इतने जज्बातों के बाद
हम अजनबी के अजनबी ही रहे इतनी मुलाकातो के बाद
चेहरे अजनबी हो भी जायें तो कोई बात नहीं
लेकिन रवैये अजनबी हो जायें तो बड़ी तकलीफ देते हैं
सदियों बाद उस अजनबी से मुलाक़ात हुई
आँखों ही आँखों में चाहत की हर बात हुई
वजह पुछने का तो मौका ही कहाँ मिला
वो लहजे बदलते गये और हम अजनबी बनते गये
दिल चाहता है कि फ़िर अजनबी बन कर देखें
तुम तमन्ना बन जाओ हम उम्मीद बन कर देखें
उसकी हर एक शिकायत देती है मुहब्बत की गवाही
अजनबी से वर्ना कौन हर बात पर तकरार करता है
न जाने इतनी मोहब्बत कहाँ से आ गयी उस अजनबी के लिए
की मेरा दिल भी उसकी खातिर अक्सर मुझसे रूठ जाया करता है