105+ Masoom Shayari in Hindi | मासूमियत शायरी इन हिंदी
Masoom Shayari in Hindi: नमस्कार दोस्तों मासूम चेहरा हर किसी भा जाता हैं लेकिन इस स्वार्थी और मतलबी दुनियां में मासूम लोग अक्सर कम ही नजर आते हैं क्योंकि कई बार उनकी ओट में धूर्त लोग वक्त आने पर उनके साथ छल और कपट कर जाते हैं
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Masoom Shayari in Hindi | मासूमियत शायरी इन हिंदी
मासूम सी आपकी ये निगाहें कहीं चैन ना छीन ले हमारा
प्यार का आगाज कर रही हैं वो कहीं दिल ना चुरा ले हम तुम्हारा
हर हीरा चमकदार नहीं होता, हर समंदर गहरा नहीं होता,
दोस्तों ज़रा संभल कर प्यार करना, हर खूबसूरत चेहरा वफादार नहीं होता,
बड़े कातिलाना है मिजाज आपके जो करते है हमको कायल
वाकिफ ना थे अपनी मासूमियत से जो कर देती है आपको घायल
Masoom Shayari in Hindi 2 Line
बेइंतहा मासूम है वो खूबसूरत होती है उनकी हर एक बात..
कहा रखु संभालकर उसे, सोचता हूं दिन और रात..
दिल को बेवफाई की ऐसी चोट दे जाती है..
धोखेबाजी तो मासूम नजरों में ही होती है…
खूबसूरती से मासूमियत नहीं जलकती है, साहबमासूमियत देखनी है,
तो उस बच्चे से पूछो जो दिन भर खिलौनों की दुकान पर काम करता
हुस्न की मासूमियत थोड़ी सी कम कर दे..
वरना मेरी निगाहों को तेरा गुनहगार बनने दें..
भुला बैठे खुद को तेरी मीठी बातों में..
खो गया ये दिल मासूम सी आंखों में..
मासूम सा दिल मेरा मुझसे बार बार कह रहा है..
वो अपना है ही नहीं जिसे तूने जिंदगी बनाया है
Masoom face Shayari in Hindi
मोहब्बत की ये बरसाते अब हमें सच्ची लगती है..
मासूम सवाल करने की आदत हमें अच्छी लगती है..
Masoom Shayari in Hindi 2 Line
दिल को बेवफाई की ऐसी चोट दे जाती है..
धोखेबाजी तो मासूम नजरों में ही होती है…
ए खुदा, सच्चे दिल से दरख्वास्त करता हूं तुझसे..
मासूम मुस्कान को उसकी, जुदा ना करना चेहरे से..
मासूम सी मुस्कान को भूलाऊं तो कैसे..
अक्स तेरे प्यार के मैं मिटाऊं तो कैसे..
मासूम सी आपकी ये निगाहें,
कहीं चैन ना छीन ले हमारा,
प्यार का आगाज कर रही हैं,
वोकहीं दिल ना चुरा ले हम तुम्हारा,
Masoom chehra Shayari in Hindi
मासूमियत जिंदगी की सबसे बड़ी उपहार है..
जो बिन कहें सब कुछ कह देती हैं..
तेरे हर लफ्ज़ को, मेरे दिल में समाए हुए है
तेरी एक नजर के खातिर, खुद को तरसाए हुए है
फरियाद है खुदा से, आज़ाद करदे तेरी यादों से
क्योंकि एक मासूम ने, न जानें कितने आशिक बर्बाद किए है..
तेरे जैसा मासूम होना
किसी के बस की बात नहीं..
तेरे जैसा हुस्न पाना भी
किसी के बस की बात नहीं..
न जाने कब हुस्न का तेरे गुनहगार हो गया..
मासूम सी मुस्कान का तेरी मैं शिकार हो गया..
मासूम शायरी इन हिंदी
तेरी हर नज़ाकत भरी अदा से प्यार करने लगे..
न जाने मासूम चेहरे पर हम कब से मरने लगे..
मोहब्बत की दास्तान, तब्दील बेवफाई में हो गई..
ना जाने उसकी मासूम प्रेम कहानी कहां खो गई..
Masoom face Shayari in Hindi | मासूमियत शायरी 2 लाइन
मुहब्बत होंठों से नहीं, उनसे निकली मीठी बातों से है,
क्यों कि मासूमियत चेहरे से कहीं ज्यादा, उसकी भोली आँखों में है,
दांतो तले उंगली दबा कर निगाहें मुझ पर रोकना
बड़ा अच्छा लगता मुझे तेरा मासूम नजरों से देखना
महबूबा मेरी लगती है बड़ी मासूम..
जब चेहरे पर आती उसके तबस्सुम..
तबस्सुम : मुस्कराहट, मधुर मुस्कान
मासूमियत शायरी 2 लाइन
न जाने दिल कब तुझे चैन अपना दे बैठा है..
प्यार में तेरा मासूम सा चेहरा खिल उठा
मोहब्बत की ये बरसाते अब हमें सच्ची लगती है,
मासूम सवाल करने की आदत हमें अच्छी लगती है,
सितारों से तोड़ लाऊ या आसमां से छीन लाऊ,
ऐसा आपने हमारे दिल में पहरा दिया है
मेरी किस्मत मुझपे नाज़ करती है हमेशा
खुदा ने कोई मासूम चेहरा मेरे नाम किया है
कितनी मासूम हो तुम छोटी सी बात पर रो पड़ती हो..
खयाल नहीं रखती खुद का बार बार बीमार पड़ती हो..
मासूम चेहरे को दिल में समाए हुए है
बंजर मेरे दिल में वो बरसात लाए है..
मुकम्मल न हो हमारा इश्क़ फिर भी
फकत आप धड़कनों में बसाए हुए है..
ना जाने वह बेवफा मन में कैसे मुस्कुरा लेती है..
मासूम सूरत को याद कर आंख मेरी अब भर आती है..
कुछ दिन पहले तक मासूम दिल था यह मेरा..
बन गया है आज तरसती निगाहों का ठिकाना तेरा..
Masoomiyat Shayari in Hindi – बचपन की मासूमियत शायरी
मदहोशी को अपनी मैं बयां करना चाहू,
मासूम सूरत से उम्र भर मैं प्यार करना चाहू
आँखे खोलू तो चेहरा सामने तुम्हारा हो,
बंद करू तो सपना तुम्हारा हो,
मर जाऊ तो भी कोई गम नही,
अगर खफन के बदले आँचल तुम्हारा हो..
बचपन की मासूमियत शायरी
देखकर दीवाने हो गए हम उसकी मुस्कान के..
खरीद लिए गम भी, तब हमने उस मासूम के..
इश्क मेरा गहरा,
जो उन्हें करीब लाया है..
उनकी मासूम अदाओं पर
मेरा ये दिल आया है..
ये गुल सा मासूम चेहरा
उस पर खिला रंग सुनहरा..
और क्या तारीफ करे आपकी,
आपको तो खुदा ने
अपने हाथो से है नवाजा..
और ना तड़पाओ, बसा लो
मुझे अपनी निगाहों में..
खो चुका हूं खुद को तुम्हारी
इन मासूम अदाओं में..
मासूम चेहरे पर शायरी 2 line स्टेटस
तेरा चेहरा कातिल है मेरे मासूम दिल का..
मुज़रिम को पनाह देना गुनाह है मेरे दिल का..
मदहोशी को अपनी मैं बयां करना चाहूं..
मासूम सूरत से उम्र भर मैं प्यार करना चाहूं..
खूबसूरत अदाओं का ये दिल क़ायल हो गया..
न जाने मासूम निगाहों से कब मैं घायल हो गया..
ना जाने वह बेवफा
मन में कैसे मुस्कुरा लेती है..
मासूम सूरत को याद कर
आंख मेरी अब भर आती है..
Masoom Shayari in Hindi for Girlfriend
मासूम सी मेरी कली सारे जहां में प्यारी हो
दूर ना हो सकूं तुझ से इतनी करीब रहती हो
प्यार भला शब्दों में कैसे बयां हो सकता है..
ये तो मासूम अहसास है जो खुद ब खूद बयां होता है..
चाँद सा चेहरा देखने की इजाज़त दे दो
मुझे ये शाम सजाने के इजाज़त दे दो
मुझे क़ैद करलो अपने इश्क़ में या
मुझे इश्क़ करने के इजाज़त दे दो.
तमन्ना ना की हो उसने मैं इतना प्यार दूं
मासूम सी मोहब्बत पर अपनी जान वार दूं
दिल के रिश्ते से मुझे कभी दूर ना करना
मासूम सी मुस्कान देकर मुझसे प्यार करना
मासूम सी परी शर्मा गई
फूलों को देख खिल गई..
आई हैं वो फलक से उतरकर
देखकर मुझे फिर छिप गई..
प्यार की राहों में मुझे तन्हा छोड़ गई..
मासूम से दिल को क्यों धोखा दे गई..
मासूम सा दिल करता रहा प्यार का इजहार..
मगर तुमने ओ जालिमा, किया मेरा इनकार..
हमारा हाले दिल चेहरे से अब दिलदार पढ़ लोगे
ज़ुबां आंखों की समझोगे, तो मेरा प्यार पढ़ लोगे
सिर्फ चेहरा ही नहीं शख्सियत भी पहचानो
जिसमें दिखता हो वही आईना नहीं होता
Hindi Masoom Shayari | मासूम चेहरे पर शायरी 2 line
सोचती हूँ कह दूं उस से की में भी चाहने लगी हूँ,
फिर सोचती हूँ कही वो मेरी नादानी ना समझ बैठे,
दूर हूँ पर अब धीरे-धीरे उसके दिल के करीब आने लगी हूँ
उस खुदा का क्या शुक्रिया करूँ,
जिस खुदा ने उसको बड़ी पूरस्त से बना होगा,
पहले सोचा होगा इस नूर को में रखलूं,
फिर सोचा तो मेरा ख्याल मन में बना होगा
उस पल को जरा महसूस करों,
जिस पल हम तुम्हे याद किया करते है,
हम आज भी उतना ही प्यार करते है,
जब पहले किया करते थे,
तेरे लिए हम आज भी फ़रियाद किया करते है
दम तोड़ देतीं है हर शिकायत लबों पे आकर,
जब मासूमियत से वो कहती है मैंने किया क्या है?
वो मासूम चेहरा मेरे ज़ेहन से निकलता ही नहीं
दिल को कैसे समझाऊ कि धोखेबाज़ था वो
इश्क़ का नशा कैसा होता है,
जो करता है उसको तो पता होगा,
मेने किसी से पूछा कैसा होता है,
उसने कहा नशा-नशा होता है इश्क़ वैसा होता है
किस क़दर मासूम सा चेहरा था उस का ग़ालिब
धीरे से जान कह कर बेजान कर गया
तेरा चेहरा आज भी मासूम है,
आज भी मेरी चाहत में वही सुकून है,
तेरे चेहरे पे एक मुस्कान के लिए,
जान भी बार दे ऐसा मेरा जूनून है।
हर हीरा चमकदार नहीं होता,
हर समंदर गहरा नहीं होता,
दोस्तों ज़रा संभल कर प्यार करना,
हर खूबसूरत चेहरा वफादार नहीं होता,
वो मासूम चेहरा मेरे ज़ेहन से निकलता ही नहीं
दिल को कैसे समझाऊ कि धोखेबाज़ था वो
Apka Masoom Chehra Shayari in Hindi
कुछ इस तरह तुम्हे खुदको आज़माते देखा है
मेरी मौजूदगी में तुम्हे पलके झुकाये देखा है
मासूम निगाहों को मुस्कुराते देखा है
मैंने अपनी मोहब्बत को तुम्हे
दिल में छुपाते देखा है।
कभी नम न हो जाये ये मासूम निगाहें,
मेरी आरज़ू है सदा मुस्कराये,
ग़म के साये रहे हम तक ही ,
तेरे आशिया मे खुशियों की बहारे आये।
खूबसूरती से मासूमियत नहीं जलकती है,
साहबमासूमियत देखनी है,
तो उस बच्चे से पूछो जो
दिन भर खिलौनों की दुकान पर काम करता ह,
इश्क मेरा गहरा जो उन्हें करीब लाया है
उनकी मासूम अदाओं पर मेरा ये दिल आया है
तेरी मोहब्बत मुझे तबसे मिली,
मैं जबसे तेरा तलबगार हो गया,
मेरा दिल पहले अकेला था,
यह दिल तेरे ही प्यार का बीमार हो गया
देखकर दीवाने हो गए हम उसकी मुस्कान के..
खरीद लिए गम भी, तबहमने उस मासूम के..
तेरे चेहरे पे, ये मासूमियत भी खूब जमती है..
क़यामत आ ही जाएगी ज़रा-सा मुस्कुराने से..
मासूम सा दिल मेरा मुझसे
बार बार कह रहा है !!
वो अपना है ही नहीं
जिसे तूने जिंदगी बनाया है
शाम की लाली तेरी रंगत की याद दिलाती है,
तेरी मासूमियत ही मुझे तेरी ओर खींच लाती है
Masoom chehra Shayari in Hindi – मासूम चेहरा शायरी
क्या बयान करें तेरी मासूमियत को शायरी में हम
तू लाख गुनाह कर ले सजा तुझको नहीं मिलनी
कितनी मासूमियत छलक आती है
जब छोटे बच्चे की तरह वो मेरी
उंगलियो के साथ खेलते खेलते सो जाती है
ये गुल सा मासूम चेहरा उस पर खिला रंग सुनहरा,
और क्या तारीफ करे आप की आपको तो खुदा ने,
अपने हाथो से है नवाजा,,,
माना मुसीबत का बाजार है,
तूझे तोड़ने वाले लोग हजार है,
सब सामना करना तूझे ही है,
लेकीन अपनी मासुमीयत बचकर रखना
मोहब्बत सिखा कर जुदा हो गए
ना सोचा ना समझा खफा हो गए
दुनिया में किसको हम अपना कहे
अगर तुम ही मेरी जान बेवफा हो गए
अपनी पीठ से निकले को जब गिना मैंने
ठीक उतने ही निकले जितना तुझे गले लगाया था
इश्क़ की गुंजाइश नही रही अब दिल बेताब सा हो गया
परिंदो सी थी मासूमियत न जाने कैसे कांच सा हो गया।
क्या बयान करें तेरी मासूमियत को शायरी में हम,
तू लाख गुनाह कर ले सजा तुझको नहीं मिलनी।
बेवफा तेरा मासूम चेहरा भूल जाने के काबिल नही।
है मगर तू बहुत खूबसूरत पर दिल लगाने के काबिल नही !
कर्ज उतर जाता है एहसान नहीं उतरता।
और कुछ बातें ऐसी हैं जो एहसान में नहीं आतीं
पर उन्हें याद करो तो आँखें नम हो जाती हैं।
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Masoomiyat Shayari in Hindi for Girl
इस सफ़र में नींद ऐसी खो गई
हम न सोए रात थक कर सो गई
हम क्या जानें क़िस्सा क्या है हम ठहरे दीवाने लोग
उस बस्ती के बाज़ारों में रोज़ कहें अफ़्साने लोग.
यादों से बचना मुश्किल है उन को कैसे समझाएँ
हिज्र के इस सहरा तक हम को आते हैं समझाने लोग
कौन ये जाने दीवाने पर कैसी सख़्त गुज़रती है
आपस में कुछ कह कर हँसते हैं जाने पहचाने लोग
हाँ उन्हीं लोगों से दुनिया में शिकायत है हमें
हाँ वही लोग जो अक्सर हमें याद आए हैं
यादों से बचना मुश्किल है उन को कैसे समझाएं
हिज्र के इस सहरा तक हम को आते हैं समझाने लोग
रातें परदेस की डरता था कटेंगी कैसे
मगर आँगन में सितारे थे वही घर वाले
हाँ उन्हीं लोगों से दुनिया में शिकायत है हमें
हाँ वही लोग जो अक्सर हमें याद आए हैं।
ये चराग़ जैसे लम्हे कहीं राएगाँ न जाएँ
कोई ख़्वाब देख डालो कोई इंक़िलाब लाओ
मेरी आबला-पाई उन में याद अक्सर की जाती है
कांटों ने इक मुद्दत से देखी थी कोई बरसात कहां
जिन से हम छूट गए अब वो जहाँ कैसे हैं
शाख़-ए-गुल कैसी है ख़ुश्बू के मकाँ कैसे हैं
ऐ सबा तू तो उधर ही से गुज़रती होगी
उस गली में मिरे पैरों के निशाँ कैसे हैं
Masoomiyat Shayari in Hindi Urdu
ये चराग़ जैसे लम्हे कहीं राएगाँ न जाएँ
कोई ख़्वाब देख डालो कोई इंक़िलाब लाओ
कहानियों की गुज़रगाह पर भी नींद नहीं
ये रात कैसी है ये दर्द जागता क्यूं है
दिल की खेती सूख रही है कैसी ये बरसात हुई
ख़्वाबों के बादल आते हैं लेकिन आग बरसती है
ज़िंदगी ढूँढ ले तू भी किसी दीवाने को
उस के गेसू तो मिरे प्यार ने सुलझाए
उस महफ़िल में प्यास की इज़्ज़त करने वाला होगा कौन
जिस महफ़िल में तोड़ रहे हों आँखों से पैमाने लोग
इस सफ़र में नींद ऐसी खो गई
हम न सोए रात थक कर सो गई
मासूम शायरी इन हिंदी 2 line
हम भी अमृत के तलबगार रहे हैं लेकिन
हाथ बढ़ जाते हैं ख़ुद ज़हर-ए-तमन्ना की तरफ़
समय के सिवा कोई इस
लायक नहीं होता कि उसे किसी
कहानी का हीरो बनाया जाए।
ये चराग़ जैसे लम्हे कहीं राएगाँ न जाएँ
कोई ख़्वाब देख डालो कोई इंक़िलाब लाओ
जिन से हम छूट गए अब वो जहां कैसे हैं
शाख़-ए-गुल कैसी है ख़ुश्बू के मकां कैसे
आज जो इस बेदर्दी से हंसता है हमारी वहशत पर
इक दिन हम उस शहर को ‘राही’ रह रह कर याद आ
दिल के उजले कागज़ पर हम कैसा गीत लिखें
बोलो तुमको ग़ैर लिखें या अपना मीत लिखें
ये चराग़ जैसे लम्हे कहीं राएगाँ न जाएँ
कोई ख़्वाब देख डालो कोई इंक़िलाब लाओ